Monday, October 24, 2011
'बचपन..'
कुछ वर्षों पहले लिखी थी..बिना कोई संशोधन पुनः प्रेषित हैं..
...
"बचपन सहेजकर रखा था..
एक पुराने बक्से में..
कुछ खिलौनें..
कुछ गुड़िया..
कोई कश्ती..
कोई गदा..
कुछ तीर-कमान..
कुछ आँसू की पुड़िया..
कोई ताबीज़..
कोई धागा..
कुछ भूली-बिसरी यादें..
कुछ गुलमोहर के फूल..
कुछ इमली के बीज..
कुछ बगीचे की धूल..
थोड़ी मासूम-सी हाथापाई..
कुछ पुराने सिक्के..
कुछ गुड़ के चक्के..
कुछ सरसों और मक्के..
थोड़े पुराने ख़त..
कुछ तितालियों के रंग..
कुछ दरिया का पानी..
कुछ चबूतरे तंग..
कुछ खिलखिलाती तस्वीरें..
कुछ कुरते के बटन..
कुछ जूतों की तस्में..
कुछ यारों के टशन..
दीवाली की सफाई में..
सब बेच दिया है..
सुना है..
मार्केटिंग वाले..
सब एक्सेप्ट करते हैं..
इस फेस्टिव सीज़न में..!"
...
Labels:
अंतर्मन की पुकार..,
स्वच्छंद पंछी..
16 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं
बहुत खूब प्रियंका जी।
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
bhaut khub...happy diwali....
धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!
बहुत गलत किया ...कि बेच दिया...मार्केटिंग वालों का क्या है उनका तो यह काम ठहरा पर बचपन ...जो लौट कर नहीं आ सकता....जिसको ..जिससे जुडी यादों को सहेज कर रखना है...उन्हें कोई क्यूँ कर बेचे भला...
इस रंग बदलती दुनिया में यादें ही तो अनमोल होती हैं ...उन यादों को उनसे जुडी बातों को...चीज़ों को ...कौन बेचेगा भला....और फिर माना कि हर चीज़ का एक प्राइज़ टैग होता है पर तब भी कुछ चीज़ें बिकाऊ नहीं होतीं...
अच्छा व्यंग्य है जो अपने साथ एक टीस भी समेटे हुए है...
बहुत गलत किया ...कि बेच दिया...मार्केटिंग वालों का क्या है उनका तो यह काम ठहरा पर बचपन ...जो लौट कर नहीं आ सकता....जिसको ..जिससे जुडी यादों को सहेज कर रखना है...उन्हें कोई क्यूँ कर बेचे भला...
इस रंग बदलती दुनिया में यादें ही तो अनमोल होती हैं ...उन यादों को उनसे जुडी बातों को...चीज़ों को ...कौन बेचेगा भला....और फिर माना कि हर चीज़ का एक प्राइज़ टैग होता है पर तब भी कुछ चीज़ें बिकाऊ नहीं होतीं...
अच्छा व्यंग्य है जो अपने साथ एक टीस भी समेटे हुए है...
आपकी पोस्ट की हलचल आज (29/10/2011को) यहाँ भी है
निधि जी की बातों से पूरी तरह सहमत ...
लेकिन रचना में गज़ब का प्रवाह है ..बहुत मीठी सी यादें बचपन की ..
Wah, kya baat hai...
Simple yet impressive creation...
www.poeticprakash.com
बहुत ही भावमय करते शब्दों का संगम ।
प्यारी यादें!
धन्यवाद संगीता आंटी..!!
धन्यवाद प्रकाश जैन जी..!!!
धन्यवाद अनुपमा पाठक जी..!!
धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!
आभारी हूँ..!!
धन्यवाद अनुपमा पाठक जी..!!
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