Tuesday, October 25, 2011

'खलिश-ए-आगोश..'


...


"अजीब दास्ताँ..
जिस्म अपना..
ना रूह से वास्ता..
बहते रहे..
शब भर..
ना हासिल..
फ़क़त..
आशियान-ए-खानाबदोश..!!!"


...

10 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

M VERMA said...

सुन्दर अभिव्यक्ति

Rakesh Kumar said...

ओह! क्या कह दिया है आपने.

क्या जबाब दूँ,इतनी समझ मुझ में नही.

बस आप तो जादूगर है शब्दों की.

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है.

Yashwant R. B. Mathur said...

प्रियंका जी आपका लिखा पढ़ने का अलग ही आनंद है।

आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएँ!

सादर

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बिल्कुल सही फ़रमा रही हैं आप
आपको दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं

विभूति" said...

बहुत खूब.... शुभ दीपावली.....

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-680:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद राकेश कुमार जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिलबाग विर्क जी..!!