Thursday, December 29, 2011
'मासूम सितारे..'
...
"फलक पर टिके हैं..
मासूम सितारे..
जो कहो.. हमनवां..
थोड़ी 'Snowfall' करा दें..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/29/2011 01:50:00 AM
4
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
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फंतासी..
Wednesday, December 28, 2011
'वादा..'
...
"ख्वाइश थी..
ना गुलज़ार हो..
आँगन कभी..
वादा निभा आया हूँ..
आज फिर..
खुद को बेच आया हूँ..!!!
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/28/2011 05:03:00 AM
8
...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'जाड़े की धूप..'
...
"जाड़े की धूप में..
यूँ तेरा आना..
मेरे पास बैठ..
आरज़ू जगाना..
जिस्म से हो..
रूह में समा जाना..
जां मेरे..हर पल..
यूँ ही दिल से लगाना..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/28/2011 05:00:00 AM
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
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रूमानियत..
Thursday, December 22, 2011
'हकीकत-ए-शबाब..'
...
"चमकते जिस्म..
बहकते ख्वाब..
हकीकत-ए-शबाब..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/22/2011 07:23:00 AM
3
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त्रिवेणी..
Wednesday, December 21, 2011
'दहलीज़-ए-फ़िरदौस..'
...
"क्यूँ परवाह किये जाते हो..
मेरी तन्हाई को बर्बाद किये जाते हो..
ना आया करो..हो पाबन्द..
रूह की परतें क्यूँ खोले जाते हो..
कर कुछ करम..ए-हमनवां..
ना आये ख्वाइश ज़ुबान पे..
दहलीज़-ए-फ़िरदौस मुमकिन कहाँ..
ख्वाब-ए-आशियाना सजाए जाते हो..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/21/2011 07:58:00 AM
2
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रूमानियत..
Tuesday, December 20, 2011
'फ़रेबी नज़ारे..'
...
"फ़ासले दरमियां मिटते नहीं..
अक्स आईने से ढलते नहीं..
क्या कशिश है..निगाहों में..
क्या खलिश है..अदाओं में..
निशां जिस्मों पर संवरते नहीं..
क्या नशा है..
उफ़..फ़रेबी नज़ारे..
दामन से उतरते नहीं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/20/2011 08:01:00 AM
2
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Sunday, December 11, 2011
'गुलाबी धूप..'
...
"जाड़े की गुलाबी धूप..
तुम्हारी यादें..
नम आँखें..
बारहां..
छुपा रखता हूँ..
हर मज़लिस..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/11/2011 08:48:00 AM
4
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मेहमां यादें..
Thursday, December 8, 2011
'बही-खाते..'
...
"हर बात भूल जाया करो..
सुनो ना..
मेरे महबूब..
जाने दो ना..
ये बही-खाते..
अज़ीज़ हैं बहुत..मुझे..
दिल के ये ज़बरन कब्जे..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/08/2011 07:45:00 AM
20
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दास्तान-ए-दिल..
Tuesday, December 6, 2011
'ज़र्रा-ज़र्रा..'
...
"ज़र्रा-ज़र्रा बिक रहा था ईमां..
रेज़ा-रेज़ा लूटा रहा था वफ़ा..
अजीब है..दास्तान-ए-गलियारे-ए-सियासत..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/06/2011 07:23:00 AM
9
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सियासत के रंग..
Monday, December 5, 2011
'बज़्म..'
...
"बज़्म में उनकी लूटा आया..
कारवां-ए-अश्क़..
३३ % एक्स्ट्रा ऑफर याद आया था..
फ़क़त..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/05/2011 09:04:00 AM
8
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हास्य..
Friday, December 2, 2011
'रूह मेरी..'
दी..आपके लिए..
...
"कुछ ना कहूँगी..
फिर भी..
समझ जायेंगे..
आप..
हैं ना..
हर आहट..
पहचान जाते हैं..
हर धड़कन..
सुन लेते हैं..
हर आँसू..
देख लेते हैं..
आप से ही रौशन..
रूह मेरी..
आपसे ही शादाब..
जिंदगानी मेरी..
यूँ ही रहिएगा..
मुझमें शामिल..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/02/2011 10:24:00 PM
12
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'दी..'
'जुस्तजू..'
...
"आ..
मेरे शौक से जुस्तजू करले..
जो ना है मेरा..
भर दूंगा दामन में तेरे..
इक बार..
फ़क़त..
इक बार..
मुझे रूह में भर ले.!!!".
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
12/02/2011 04:17:00 AM
5
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अंतर्मन की पुकार..
'सफ़ेद उदासी..'
...
"देखता हूँ..
मुड़कर पुरानी राहें..
नज़र आते हैं..
कुछ बिखरे लफ्ज़..
कुछ खुरदुरे एहसास..
और..
एक सफ़ेद उदासी..
सच..
आसां नहीं..
झूठे नक़ाबी घरोंदों का सफ़र..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/02/2011 01:04:00 AM
12
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दास्तान-ए-दिल..
Thursday, December 1, 2011
'हसरतें..'
...
"जा रहीं हूँ..
निभा रिवायतें सारी..
शबों में ज़िंदा..
हसरतें रखना..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/01/2011 07:41:00 AM
5
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दास्तान-ए-दिल..
Monday, November 28, 2011
'मायावी आडम्बर..'
...
"बहुत शोषण हुआ..
अंतर्मन चीर-हरण हुआ..
रात्री के पहले पहर..
सामाजिक परिवेश में..
कितने स्वप्नों का काल हुआ..
मुखौटे पहन दंभ दिखाते..
संबंधो के ठेकेदार..
कोमल पुष्पों का त्रास हुआ..
कितना विचित्र..
मायावी आडम्बर..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/28/2011 08:07:00 AM
4
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Saturday, November 26, 2011
'रूह के छाले.. '
...
"खफ़ा हूँ..
खुद से..
आ जला दे..
रूह के छाले..
बुझते नहीं..
जिस्मों के ताले..
क्या मुमकिन है..
अरमानों के पाले..!!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/26/2011 09:25:00 AM
8
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'बेच आया हूँ..'
...
"ख्वाइश थी..
ना गुलज़ार हो..
आँगन कभी..
वादा निभा आया हूँ..
आज फिर..
खुद को बेच आया हूँ..!!!
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/26/2011 03:27:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Saturday, November 19, 2011
'सच..'
...
"झूठी रिवायतें..
फ़रेबी चाहतें..
यूँ भी..
सच बिकता कहाँ..!!!"
...
"झूठी रिवायतें..
फ़रेबी चाहतें..
यूँ भी..
सच बिकता कहाँ..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/19/2011 08:45:00 AM
6
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ज़िन्दगी..
Friday, November 18, 2011
'ये रतजगे..'
...
"ये रतजगे..
ये जन्मदिन के तोहफे..
होते कारवां शुरू तुमसे..
ये जिस्मों के रेले..
बेइन्तिहाँ मोहब्बत तुमसे..
बेशुमार सुर्ख बोसे..
सुनो जां..
करते हो ना..
तुम भी..
मेरे जैसे..
हर शब का इंतज़ार..!!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/18/2011 01:42:00 AM
5
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दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, November 16, 2011
'तमगा-ए-गद्दार..'
...
"क्यूँ जिस्मों के रेले..
रूह के मेले हो जाते हैं...
निभा ना सको..
गर..
चाहतों के रिश्ते..
क्यूँ बेगाने..
इलज़ाम लगा जाते हैं..
क्यूँ ख्वाइशों को..
झूठे नकाब पहनाते हैं..
तोड़ के दिल..
तमगा-ए-गद्दार सज़ा जाते हैं...!!!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/16/2011 06:06:00 AM
13
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Friday, November 11, 2011
'निर्मल स्याही..'
...
"लिखती है कलम..
जब कभी..
ह्रदय के ताल..
चख लेते हैं..
सुमन की गर्मी..
और..
प्रश्नों की नरमी..
झुरमुट प्रकाश में..
निर्मल स्याही से..
मिलना गले..
किसी दिन..
दर्शनाभिलाषी --
कुछ तरबतर अश्रु..
कुछ अपरिचित स्मृतियाँ..
और..
कुछ बूँदें..
निर्मोही तेल की..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/11/2011 12:17:00 AM
10
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दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, November 9, 2011
'चाहत मेरी..'
...
"माँगता रहा..
ता-उम्र..
चाहत मेरी..
ना भर दामन उसका..
आज फिर गिरा आया हूँ..
हाँ..
आज फिर..
अपना ईमां..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/09/2011 06:22:00 AM
6
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दास्तान-ए-दिल..
Tuesday, November 8, 2011
'हिसाब लगायें..'
...
"बर्बादी का सबब..
साथ लाया हूँ..
जिस्मों को तौलने..
रूह का काँटा लाया हूँ..
तुम्हारा आसमां थोड़ा फीका है..
मेरी ज़मीं थोड़ी गमगीं है..
आओ..
ज़रा बैठ हिसाब लगायें..
क्या खोया..
क्या पाया..
कुछ कदीम जज़्बात..
कुछ सुलगते अरमान..
और..
कुछ तेज़ कदम..
मेरी रूह-से-तुम्हारी रूह तक..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/08/2011 03:16:00 AM
11
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दास्तान-ए-दिल..
Sunday, November 6, 2011
'नज़र-ए-महताब..'
...
"गुज़रतीं हैं साँसें..
यादों के गलियारे से..
जब कभी..
वफ़ा के साये..
झाँकते हुये..
छू जाते हैं..
अफ़साने कई..
वक़्त के पहिये..
लगाते हैं..
यकीं के तम्बू..
इठलाती पुरवाई..
लूटाती है..
साज़ कई..
ना सज़ा मिले..
मोहब्बत की कभी..
कुछ अल्फ़ाज़ यूँ भी..
नज़र-ए-महताब..
कूचा-ए-यार..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/06/2011 09:58:00 AM
12
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दास्तान-ए-दिल..
Tuesday, October 25, 2011
'खलिश-ए-आगोश..'
...
"अजीब दास्ताँ..
जिस्म अपना..
ना रूह से वास्ता..
बहते रहे..
शब भर..
ना हासिल..
फ़क़त..
आशियान-ए-खानाबदोश..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/25/2011 05:16:00 AM
10
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स्वच्छंद पंछी..
Monday, October 24, 2011
'बचपन..'
कुछ वर्षों पहले लिखी थी..बिना कोई संशोधन पुनः प्रेषित हैं..
...
"बचपन सहेजकर रखा था..
एक पुराने बक्से में..
कुछ खिलौनें..
कुछ गुड़िया..
कोई कश्ती..
कोई गदा..
कुछ तीर-कमान..
कुछ आँसू की पुड़िया..
कोई ताबीज़..
कोई धागा..
कुछ भूली-बिसरी यादें..
कुछ गुलमोहर के फूल..
कुछ इमली के बीज..
कुछ बगीचे की धूल..
थोड़ी मासूम-सी हाथापाई..
कुछ पुराने सिक्के..
कुछ गुड़ के चक्के..
कुछ सरसों और मक्के..
थोड़े पुराने ख़त..
कुछ तितालियों के रंग..
कुछ दरिया का पानी..
कुछ चबूतरे तंग..
कुछ खिलखिलाती तस्वीरें..
कुछ कुरते के बटन..
कुछ जूतों की तस्में..
कुछ यारों के टशन..
दीवाली की सफाई में..
सब बेच दिया है..
सुना है..
मार्केटिंग वाले..
सब एक्सेप्ट करते हैं..
इस फेस्टिव सीज़न में..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/24/2011 11:09:00 AM
16
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अंतर्मन की पुकार..,
स्वच्छंद पंछी..
Saturday, October 22, 2011
'क्षमा ..'
दी..क्या मुझे क्षमा मिल सकेगी कभी..
...
"भूल हुई इक बहुत भारी..
जिसका सुधार नहीं..
पश्चाताप कर सकूँ..क्यूँ..
मिलता उधार नहीं..
जीवन का अभिप्राय..
है यह ही..
टूटे काँच पर..
लगती धार नहीं..!!
...
एक और गलती कर रही हूँ..आपसे बिना आज्ञा लिये इसे प्रेषित कर रही हूँ..
...
"भूल हुई इक बहुत भारी..
जिसका सुधार नहीं..
पश्चाताप कर सकूँ..क्यूँ..
मिलता उधार नहीं..
जीवन का अभिप्राय..
है यह ही..
टूटे काँच पर..
लगती धार नहीं..!!
...
एक और गलती कर रही हूँ..आपसे बिना आज्ञा लिये इसे प्रेषित कर रही हूँ..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/22/2011 09:25:00 AM
6
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'दी..'
'सपने..'
...
"शब-भर सपने जला..
रूह जला बैठा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/22/2011 03:04:00 AM
4
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Friday, October 21, 2011
'राज़-ए-दिल..'
...
"राज़-ए-दिल जाने ना कोई..
हम-ज़लीस पहचाने ना कोई..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/21/2011 01:22:00 AM
5
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हम-ज़लीस/परम-प्रिय मित्र..
Thursday, October 20, 2011
'दरार-ए-बादल..'
...
"दरार-ए-बादल..
फ़क़त..
दरकार-ए-माज़ी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/20/2011 06:59:00 AM
2
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दास्तान-ए-दिल..
Wednesday, October 19, 2011
'रूह के मेले..'
...
"आओ..
बाँटें..
रूह के मेले..
कब तक रहेंगे..
हम-तुम..
अकेले..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/19/2011 06:01:00 AM
7
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Tuesday, October 18, 2011
'शामियाना-ए-रंगत..'
...
"तड़प के पुख्ता सबूत मिले..
दीवानगी के ज़िंदा ताबूत मिले..
हर ओर..शामियाना-ए-रंगत..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/18/2011 11:38:00 PM
4
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दास्तान-ए-दिल..
'दरमियां..'
...
"सच ही था..
जो कहा..
फिर क्यूँ..
सपने रेतीले हो गए..
दरमियां थे..
जो साहिल..
क्यूँ हमशाख..
जुदा हो गए..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/18/2011 10:45:00 PM
6
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'शिकायत..'
...
"करूँ बयां..
शिकायत होगी..
जुस्तजू सरे-राह..
बदनाम होगी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/18/2011 07:11:00 AM
12
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Monday, October 17, 2011
'समाज..'
...
"सुलझ गयीं..
गांठें कितनी..
तेरी इक मुस्कराहट से..
व्यर्थ ही..
लुटती रही..
समाज के संकीर्ण फेरों में..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/17/2011 04:00:00 AM
5
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Saturday, October 15, 2011
जगजीत साब..
जगजीत साब..
ना जाने कितनी सर्द रातों और तपते दिनों में गम की स्याही सोख लेते थे..मेरे हर गम को यूँ ही समेट लेते थे.. आपकी आवाज़ का जादू कितनी ही बेवफाई और फ़रेब को नकाब पहना दफ्ना आई..
आज जब आप चले गए..दिल के दर्द कैसे रहगुज़र कर पाऊँगी..राहबर मेरे..चारागर मेरे..आप ही बताएं, कैसे जी पाऊँगी..
...
"ख्वाइश दम तोड़ती रही..
रूह सुलगती रही..
*शब-ए-तार..
क़ैद रहा..
**क़फ़स-ए-ज़िन्दगी..
रिवायत उछलती रही..
हर बाज़ार..
बेनाम इश्तिहार..
***गुमगश्ता वजूद..
रेज़ा-रेज़ा रही..
उल्फ़त बेज़ार..
तुम्हारी मखमली आवाज़..
मरहम लगाती रही..
हर नफ्ज़..
दम फूंक..
बेरंग फिज़ा मचलती रही..
आज जब तुम नहीं हो..
#बेनियाज़ी हस्ती..
##नुक्ताचीं डाले हैं डेरा..
कैसे समेटूं..
रूह का फेरा..!!!"
...
*शब-ए-तार = Dark Night..
**कफ़स = Prison/Cage..
***गुमगश्ता = Lost..
#बेनियाज़ी = Independent..
##नुक्ताचीं = Critic..
..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/15/2011 02:37:00 AM
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जगजीत साब..
Friday, October 14, 2011
'बेखुदी..'
...
"रेज़ा-रेज़ा रूह..
कतरा-कतरा काविशें..
बस्ती-बस्ती बेखुदी..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/14/2011 11:06:00 PM
4
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त्रिवेणी..
' साज़िश..'
...
"करते रहे वफ़ा..
ता-उम्र..
उल्फत-ए-तन्हाई..
ज़िंदा हूँ..
फ़क़त..
कोई साज़िश करो..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/14/2011 03:06:00 AM
6
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Thursday, October 13, 2011
'शफ़क़त..'
आपको समर्पित..'दी'..
...
"खुशबू लूटा रही..
तेरी शफ़क़त..
क्यूँ भीगी नहीं..
अब तलक..
रेतीली रूह मेरी..
कर दो..
इनायत ऐसी..
पा सकूँ..
जुस्तजू तेरी..
रंगत तेरी..
खुशबू तेरी..!!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/13/2011 10:01:00 AM
4
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'दी..'
'स्नेह-वर्षा..'
...
"जीवन क्या है..
तलाश समाप्त हो जाए..
सार नहीं मिलता..
हो जिसके समीप..
आप जैसा माणक..
फिर क्या नहीं मिलता..
एक अदृश्य जादुई करिश्मा..
है तुम्हारी स्नेह-वर्षा..
सच..
सच्ची प्रार्थना से..
क्या नहीं मिलता..!!!!"
..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/13/2011 09:22:00 AM
3
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'दी..'
'अभिभूत हूँ..'
आदरणीया दी..
आपके लिये..मेरे ह्रदय की दूर-दराज़ शाखा से निकले हुए कुछ शब्द..
...
"झुरमुट झाड़ियों से झाँकती रही..
मेरी कहानी..
संवारा ह्रदय का उपवन..
दिया परेशानी से किनारा..
अनमोल है..
मुस्कराहट से लबालब..
बाजुबंध तुम्हारा..
किये होंगे सु-कर्म कितने..
बांधे होंगे पुण्य कई..
सौभाग्य हुआ दयालु..
मुझ पर..
पाया तुम जैसा..
सुंदर पानीदार..
मोतियों से अलंकृत 'निधि'..
अभिभूत हूँ..
रखेंगे न सदैव..
वात्सल्य की छाँव में..
अपनी इस 'बेवकूफ' को..!!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/13/2011 07:59:00 AM
4
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'दी..'
'सहारा..'
आपको समर्पित...'दी'..
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"दिखाया रास्ता..
जब कोई नहीं था..
दिया सहारा..
जब दिया नहीं था..
आपसे रौशन है..
अंतर्मन का आँगन..
सुशोभित हुआ..
जीवन का आँचल..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/13/2011 01:18:00 AM
6
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'दी..'
'महताब-ए-हरारत..'
शुक्रिया दी..'मेरे प्रेरणा-स्तोत्र'..!!!
इस रचना के मूल स्वरुप को निखारने के लिये..इस धातु को तपाने के लिये..
...
"कलम उठा..
जब लिखना चाहती हूँ..
रूह की बंज़र प्यासी रेतीली खुरदरी चट्टानों पे..
हर खलिश की जुबां..
क्यूँ मुमकिन नहीं..
करना बयां..
जो बसते हो..
साँसों में रवानी बन..
क्यूँ मिलते नहीं..
इक कहानी बन..
क्या खौफ है ज़माने का..
या..
नज़रों की नुमाइश से..
डरते हो..
क्या मोहब्बत रंगत नहीं..
क्या चाहत फितरत नहीं..
क्या गर्माहट सिलवट नहीं..
समंदर हो मेरे..
दराज़ मेरे..
लम्हे मेरे..
लिहाफ़ मेरे..
ना तौलो तुम..
रेज़ा-रेज़ा मेरी अंगड़ाई..
बन जाओ ना..
फ़क़त..
सफ़हा अक्स..
महताब-ए-हरारत..
मेरे..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/13/2011 01:03:00 AM
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'दी..'
Wednesday, October 12, 2011
'उल्फत की बरसात..'
...
"चाँद की मसरूफियत..
चैन ले गयी..
मुद्दत हुई..
उल्फत की बरसात हुए..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/12/2011 02:18:00 AM
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रूमानियत..
Tuesday, October 11, 2011
'ईमान-ए-जूनून..'
...
"ख़्वाबों को लगा आया हूँ..
रूह की निगरानी पर..
ईमान-ए-जूनून..
महंगा हो चला..
इन दिनों..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/11/2011 08:10:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'सुलगती रूह..'
...
"महफ़िल-ए-मोहब्बत..
ज़र्रा-ज़र्रा..
सुलगती रूह..
मुबारक तुम्हें..
अरमानों की जुस्तजू..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/11/2011 12:48:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Saturday, October 8, 2011
'साहिल-ए-अश्क़..'
...
"भूला देना..
साहिल-ए-अश्क़..
यूँ भी तन्हा ही जीया हूँ..
ता-उम्र..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/08/2011 09:36:00 AM
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बस यूँ ही..
Thursday, October 6, 2011
' गुज़ारिश..'
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"महबूब मेरे..
जुल्फों का साया ना कर..
पिघल जाऊं..
बाहों में..
कुछ ऐसी गुज़ारिश कर..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/06/2011 04:16:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Tuesday, October 4, 2011
'साहस के सितारे..'
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"पथरा गयीं आँखें..
उत्साह ना हुआ कम..
बटोर लो..
साहस के सितारे..
प्रयोजन रहे दमखम..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/04/2011 07:49:00 AM
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प्रेरणादायी सन्देश..
Sunday, October 2, 2011
'मासूमियत की बौछारें..'
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"पहाड़ियों में ढूँढ आई..
बचपन की सौगातें..
हँसी की फुहारें..
और..
मासूमियत की बौछारें..
खिलखिला रहा था..
आसमान का आँगन..
झिलमिला रहा था..
बादलों का आँचल..
जी आई..
आज फिर..
अमूर्त भावनाओं की..
अटूट निशानी..
जीवन की..
अमूल्य कहानी..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/02/2011 09:39:00 AM
15
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स्वच्छंद पंछी..
Friday, September 30, 2011
'आभारी हूँ..'
...
"क्षण-क्षण निखरती रही..
घड़ी-घड़ी सजती रही..
स्पर्श से तुम्हारे..
हर स्वाँस चलती रही..
लक्ष्य की ओर प्रसंगित किया..
हर बाधा को पार किया..
अदम्य साहस सहारा बना..
अद्भूत शौर्य ढाल बना..
जीवन को उदेश्य मिला..
स्वप्न हर पूर्ण हुआ..
आभारी हूँ..
कृतज्ञ हूँ..
आदरणीय कलम..
तुमसे ही जीवनदान मिला..
यह अनमोल संसार मिला..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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9/30/2011 11:33:00 AM
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उपकार..
Wednesday, September 28, 2011
'कुछ रोज़..'
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"तारीक़-ए-हयात-ए-परिंदे..
तन्हा हैं..
कुछ रोज़..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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9/28/2011 08:33:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..